बरमुडा ट्रायंगल के बारे में शायद ही कोई ऐसा हो जो ना जानता हो नॉर्थ अटलांटिक महासागर में मौजूद बरमूडा ट्रायंगल कई रहस्यो से घिरा हुआ है जो आज भी बेनकाब होना बाकी है।
यहां जहाज और विमान रहस्यमय तरीकों से गायब हो जाते हैं जो बाद में कभी नहीं मिलते लेकिन पृथ्वी पर सिर्फ एक ऐसी जगह नहीं जहां ऐसा होता है आज मैं आपको ऐसी जगह के बारे में बताऊंगा जिसको
" बरमुंडा ट्रायंगल ऑफ ईस्ट " भी कहते हैं।
लोया मंदिर के पानी में हजारों की संख्या में जहाज डूब गए हैं ये घटना इस जगह बहुत पुराने समय से चली आ रही है हजारों की संख्या में मछली पकड़ने वाले जहाज मालवाहक जहाज और नौसैनिक युद्धपोत बिना किसी कारणवश पानी में रहस्यमई तरीके से गुम हो गए हैं।
लोया मंदिर चीन की एक 24 किलोमीटर लंबी नहर के सामने बना है यह नहर पोयांग झील जो चीन की सबसे बड़ी मीठे पानी वाली झील है जियांगजो जो नदी के आखरी छोर को जोड़ता है।
लोया मंदिर के सामने यह नहर ऐतिहासिक समय से ही यातायात के लिए व्यस्त मार्ग रहा है इसकी चौड़ाई 3 किलोमीटर से लेकर 15 किलोमीटर के बीच में है इस नहर में जहाज के डूबने के कई कारण दिए जाते हैं कुछ का कहना है कि हवा के अचानक बदलते बहाव की वजह से जहाज डूब जाते हैं, कुछ का कहना है कि यहां पानी का भंवर बहुत बनता है जिसकी वजह से जहाज डूब जाते हैं,कुछ का कहना है कि यहां पर चुंबकीय क्षेत्र बहुत तेज है जिसकी वजह से यहां बिजली ज्यादा गिरती है और इसकी वजह से जहाज डूब जाते हैं,और कुछ इस घटना के पीछे अजीबोगरीब रहस्यमई कारण भी देते हैं।
इस स्थान के बारे में एक और चकित कर देने वाली बात यह भी है के यह 28.22 और 25.43 अक्षांश पर स्थित है उसी स्थान के समांतर जहां बरमूडा ट्रायंगल है अब कारण जो भी हो यहां पर जहाज डूबने की इतनी घटनाएं हुई है कि उसको "वोटर ऑफ डेथ" , "डेविल होर्न" या फिर "बरमूडा ट्रायंगल ऑफ ईस्ट" के नाम से भी जाना जाता है।
इतिहास की सबसे बड़ी जहाज डूबने की घटना 16 अप्रैल 1945 को रिकॉर्ड की गई । जापान का मालवाहक जहाज कोबेमारु लगभग 200 जवानों और बहुत सारे सोने चांदी और मोती जैसे कीमती सामान लेकर जा रहा था उस दिन मौसम बिल्कुल साफ था लेकिन जैसे ही कोबेमारु लोया मंदिर के नहर में दाखिल हुआ अचानक से मौसम बिगड़ गया और बहुत ही ऊंचा ज्वार उठा जिसने कोबेमारु के टुकडे टुकडे कर दिए और वह जहाज मानो पानी के नीचे खींच लिया गया जैसे ही जहाज गायब हुआ तूफान अचानक थम गया मौसम बिल्कुल साफ हो गया मानों जैसे कुछ हुआ ही ना हो।
जापान के नेवी ने कोबेमारु को ढूंढने के लिए कर्नल टोमोहीसा के नेतृत्व में एक बचाव टीम भेजी उस समय तालाब का पानी सिर्फ 30 मीटर गहरा था कर्नल टोमोहीसा के साथ 7 लोगों ने जहाज ढूंढने के लिए डुबकी लगाई लेकिन सिर्फ कर्नल टोमोहीसा हि इस पानी से बाहर निकल सके उस गोताखोरी के बाद जब कर्नल टोमोहिसा बाहर निकले तो बिल्कुल बदले बदले लग रहे थे उनका व्यवहार बहुत ही अजीब हो चुका था इतना के बाद में जापान सरकार ने उन्हें पागल घोषित कर दिया।
1946 में जापान चीन से निकल गया और लड़ाई खत्म हो गई तो चीन की सरकार ने अमेरिका के अनुभवी गोताखोर एडवर्ड बोयर को खजाना ढूंढने के लिए बुलाया। खजाना सिर्फ 30 मीटर पानी के नीचे था और इसे ढूंढना इतना मुश्किल नहीं होना चाहिए था पर महीनों की गोताखोरी के बाद और 2 गोताखोरों की जान जाने के बाद भी कुछ भी हाथ नहीं आया।
गोताखोरी खत्म होने के 40 साल तक एडवर्ड बोयर ने इस घटना का जिक्र कभी किसी से नहीं किया कि उनहोने तालाब में क्या देखा। 40 साल बाद उन्होंने एक United Nation Environment News पत्रिका में एक लेख लिखा और इस लेख के जरिए उन्होंने वह रहस्यमई घटना का जिक्र किया उन्होंने बताया कि
एक गोताखोरी के बाद उन्होंने और उनके साथियों ने पानी के नीचे एक तेज रोशनी देखी और साथ ही उन्होंने तेज आवाज भी सुनी उन्हें ऐसा लगा जैसे तालाब हिल रहा हो और वह लोग भंवर में खींचे जा रहे हो कुछ समय के लिए एडवर्ड बोयर बेहोश हो गए थे लेकिन चट्टान से टकराने के बाद उनकी आंख खुली और वह देखते हैं तालाब के नीचे की तेज रोशनी उनके साथियों को भीतर खींच रही है और वह असहाय होकर उनको जाते देख रहे थे। इस घटना के बाद उनके साथियों को कभी देखा नहीं गया ।
1945 की घटना के बाद कई जहाज इस पानी में डूबे हैं 1960 और 1980 के बीच लगभग 200 से ज्यादा जहाज लोया मंदिर के सामने इसी नहर में डूबे हैं और तकरीबन 1600 से अधिक लोगों ने अपनी जान गवाई है इन सब में से सिर्फ 30 लोग ही बच पाए हैं और जो लोग बच गए उन सभी की याददाश्त रहस्यमई तरीके से खो गई है ।
1970 में यहां के लोगों ने इस क्षेत्र में तीन बांध बनाए जिसमें से एक बांध लोया टेंपल के सामने वाले नहर पर बनाया इस नहर पर बनने वाला बांध 200 फीट लंबा था 160 फीट चौड़ा था और पानी की सतह से 50 फीट ऊपर था। लेकिन अचानक एक रात बिना किसी आवाज के और बिना किसी निशान छोड़े यह पूरे का पूरा बांध नहर में गुम हो गया।
1980 में पीपल लिबरेशन आर्मी ने खजाने की तलाश में कुछ लोगों को भेजा लेकिन वह भी खाली हाथ लौटे अपने काम से असंतुष्ट कैप्टन सेन दहाई ने एक आखरी बार डुबकी लगाने की सोची लेकिन वो कभी भी वापस नहीं आए एक रिपोर्ट के मुताबिक उनकी लाश पास ही की एक झील जो कि नहर से 15 किलोमीटर दूर है वहां से मिली लेकिन वह झील लोया टेंपल की नहर से कहीं से भी नहीं मिलती थी ।
1985 मैंअचानक आए एक तूफान में 13 जहाज उस में से एक 2000 टन का था एक के बाद एक जलमग्न हो गए खोज कर्ताओं को उनमें से एक जहाज का टुकड़ा भी नहीं मिला। जहाज आज भी इस नहर में डूबते हैं, 5 मार्च 2010 को इस नहर के किनारे बिल्कुल शांत और साफ पानी में हजार टन का एक जहाज डूब गया जो आज तक नहीं मिला और ना ही उसका कारन पता चल पाया।
यहां के निवासीयो का यह कहना है की कोई भी ऐसा साल नहीं कि जहां यहां जहाज डूबता ना हो हर साल कोई ना कोई जहाज यहां पर डूबता है इन घटनाओं के पीछे क्या कारण है कोई भी नहीं जानता लेकिन बहुत ही पुरानी कहानी है जिसे इन घटनाओं से जोड़कर देखा जाता है ।
1368 में मिंग के राजा झु युआंग ने एक निर्णायक लड़ाई अपने विरोधी चेन युआलींग से लड़ी थी इस युद्ध को चीन का सबसे बड़ा नौसैनिक युद्ध भी कहा जाता है ।
कहा जाता है कि शुरुआत में झु हार रहे थे उन्हें तालाब के दूसरे किनारे जाना था लेकिन अपने विरोधी की नाकाबंदी से वह घिरे हुए थे तभी अचानक एक बड़ा कछुआ प्रकट हुआ और झु को अपनी पीठ पर बिठाकर तालाब के दूसरे किनारे ले गया। झु इस जंग में जीत गए जंग के बाद सबसे पहले झु ने नहर के किनारे एक मंदिर बनाने का काम किया जो आज भी लोया टेंपल के नाम से जाना जाता है ।
इस मंदिर के बाहर द्वार पर एक विशाल कछुऐ की मूर्ति है लोगों का मानना है कि यही कछुआ उस नहर में जहाजों को डूबाता है और कुछ लोगों का यह भी मानना है कि उस नहर में मरे हुए लोगों की आत्माएं भी जहाजों को डूबाती है।
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